पद्मश्री - डॉ. विद्या बिंदु सिंह 
Uttar-Pradesh-Hindi

पद्मश्री डॉ विद्या बिंदु सिंह-अवधी लोक साहित्य को जनमानस तक सहजता से पहुंचाने वाली सुप्रसिद्ध लेखिका

डॉ. विद्या बिंदु सिंह की नाटक, लोक साहित्य, उपन्यास, कविता, संग्रह बाल साहित्य के क्षेत्र में 118 पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं और 16 प्रकाशित होनी हैं।

Aastha Singh

लोक संगीत और संस्कृति मात्र संग्रहालय में सहेजने की वस्तु नहीं, यह जब तक सहजता के साथ व्यवहार में रहेगी तभी तक जीवित रहेगी। इसे संरक्षित करना उस संस्कृति से जुड़े हर व्यक्ति का, समाज का, शासन व्यवस्था और यहां तक कि न्याय व्यवस्था का भी दायित्व है।

यह उद्गार लोक संस्कृतिविद् डॉ. विद्या बिंदु सिंह ने लखनऊ स्थित उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के सभागार में व्यक्त किये। डॉ. विद्या विंदु सिंह लोकसाहित्य के क्षेत्र में जाना माना नाम हैं, कहानी, कविता, निबंध, उपन्यास, लोकगीत उनकी कलम से लोक साहित्य की कोई विधा अछूती नही रही। उन्होंने पारम्परिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से व्याख्यानों, गीतों और लोक विरासत के ज़रिये समाज के सांस्कृतिक मूल्यों का अद्भुत प्रचार प्रसार किया है।

आईये डॉ विद्या के जीवन की गहराइयों में जाकर अवध लोक साहित्य की विलुप्त हो रही विरासत को सहेजने में उनके योगदान को जानें, जिसके लिए वे साल 2022 में पद्मश्री से नवाज़ी गयीं।

लोक संस्कृति के संरक्षण को समर्पित एक जीवन

पद्मश्री - डॉ. विद्या बिंदु सिंह

विद्या जी का जन्म 2 जुलाई, 1945 को उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर में हुआ था और उन्होंने अपनी एम्.ए की डिग्री आगरा यूनिवर्सिटी से, बी.एड गोरखपुर यूनिवर्सिटी से और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से पी.एचडी की उपाधि हासिल की। उन्होंने अपने जीवन में करीब 60 वर्षों से एक शिक्षाविद, लेखक, सम्पादक, वक्ता एवं भारतीय लोक, धर्म व संस्कृति की प्रचारक रही हैं।

उन्होंने उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान लखनऊ में मुख्य सम्पादक, उप निदेशक और संयुक्त निदेशक के रूप में काम किया है। लोक साहित्य में उनकी 118 पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं और 16 प्रकाशित होनी हैं जिसमें बाल किशोर, वयस्क शिक्षा पर पुस्तकें शामिल हैं।

आज के समय में भी लोक संस्कृति की प्रासंगिकता को जनमानस तक पहुंचाने के उनके प्रयास लेखन से परे हैं और वे हर साल अपने पैतृक गाँव में विलुप्त लोक कलाओं, धर्म और संस्कृति पर एक महोत्सव आयोजित करती हैं जिसमें प्रासंगिक मुद्दों पर वाद- विवाद, नाटक, प्रदर्शनी आदि आयोजित किये जाते हैं। इस अवसर पर निः शुल्क स्वास्थ्य शिविर भी लगाए जाते हैं।

अवध साहित्य में सक्रीय योगदान

पद्मश्री - डॉ. विद्या बिंदु सिंह

डॉ. विद्या ने अवध साहित्य को जिस सहजता से जनमानस तक पहुंचाया है वह एक ख़ास सराहना के काबिल है। वे मानती हैं की अवधी भाषा हिंदी को समृद्ध करती है और उन्होंने खास तौर पर अवधी लोक गीतों पर बहुत काम किया है। साथ ही उनका मानना है की अवध की लोक संस्कृति, साहित्य और गीतों और बोलचाल भगवान राम की छवि के बगैर अधूरी है।

अवध क्षेत्र के साहित्य में, मुहावरों में, लोकोक्तियों में लोक गीतों में राम सीता का ज़िक्र आदिकाल से प्रबल रहा है। अवध क्षेत्र में इस्तेमाल की जाने वाली रोज़ाना भाषा में हाय राम, अरे राम शामिल है। उन्होंने राम सीता की कहानी के ज़रिये अवध की संस्कृति को अपनी लेखनी में उतारा है। उनकी रचना 'सीता सुरुजवा क ज्योति' इस बात का सजीव प्रमाण है।

डॉक्टिर विद्या अवधी लोक साहित्य के प्रचार प्रसार के लिए कई देशों की यात्रा भी कर चुकी हैं। उनके लिखे उपन्यासों में अंधेरे के दीप, फूल कली, हिरण्यगर्भा, शिव पुर की गंगा भौजी हैं।

वहीं कविता संग्रह में वधुमेव, सच के पांव, अमर वल्लरी, कांटों का वन जैसी रचनाएं हैं। लोक साहित्य से जुड़ी रचनाओं में अवधी लोकगीत का समीक्षात्मक अध्ययन, चंदन चौक, अवधी लोक नृत्य गीत, सीता सुरुजवा क ज्योति, उत्तर प्रदेश की लोक कलाएं जैसी रचनाएं हैं।

नयी पीढ़ी को सहजता से सिखाएं, न की उपदेश दें

पद्मश्री- डॉ. विद्या बिंदु सिंह

डॉ विद्या का मानना है नई पीढ़ी को अपनी लोक संस्कृति और संगीत की विरासत से परिचित कराने में ऐसे गुणी विद्वानों के विचार महत्वपूर्ण और मददगार साबित होंगे। लेकिन इस प्राचीन विरासत को हमें प्रचलित कथाओं, गीतों और संस्कारों के माध्यम से सहज रूप से सिखाते रहें ,आत्मसात करते रहे, न कि उपदेश के रूप में।

क्योंकि लोक संस्कृति के जो पहलु वर्त्तमान समय के परिवर्तन के साथ मेल खाएंगे और जिनमें एक संवेदनात्मक पक्ष है वही ग्रहण किए जाने चाहिए। बाकी बहुत कुछ समय के प्रवाह में निकल जाएगा।

To get all the latest content, download our mobile application. Available for both iOS & Android devices. 

Poet of 'gulaab' and 'inquilaab': Tracing the great Majaz Lakhnawi's life & his roots to Lucknow

Beyond the headlines: Gratitude for the silent women & men keeping Lucknow clean

Pet Parents in India! Checkout THIS ultimate flight guide for a stress-free journey with pets

Hindustan Hastshilp Mahotsav 2025 kicks off in Lucknow; Honey Singh to perform on Nov 22

320 km from Ahmedabad: World’s largest wildlife rescue & rehabilitation centre 'Vantara' inaugurated

SCROLL FOR NEXT