वाराणसी - शंघाई सहयोग संगठन (SCO)  
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वाराणसी को SCO की पहली पर्यटन एवं सांस्कृतिक राजधानी चुना गया, जानें क्या होगा फायदा

उज्बेकिस्तान के समरकंद में हुए शिखर सम्मेलन में वाराणसी को SCO ने वर्ष 2022-23 के लिए संगठन की पहली पर्यटन और सांस्कृतिक राजधानी के रूप में चुना।

Pawan Kaushal

उत्तर प्रदेश के वाराणसी (Varanasi) शहर को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की पहली पर्यटन और सांस्कृतिक राजधानी घोषित किया गया है। एससीओ (SCO) के नेताओं ने वाराणसी को वर्ष 2022-23 के लिए समूह की पहली ‘पर्यटन और सांस्कृतिक राजधानी’ (first-ever SCO Tourism and Cultural Capital) के रूप में समर्थन दिया।

वाराणसी को एससीओ पर्यटन एवं सांस्कृतिक राजधानी नामांकित किए जाने से शहर में पर्यटन, सांस्कृतिक गतिविधियां एवं मानवीय आदान प्रदान बढ़ेगा। इससे सदस्य देशों के बीच प्राचीन सभ्यतागत लिंक (ancient civilizational links) रेखांकित होते हैं। वर्ष 2022-23 के दौरान वाराणसी में कई प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे और उनमें सदस्य देशों के मेहमानों को आमंत्रित किया जाएगा।

भारत के विदेश सचिव, विनय मोहन क्वात्र, ने कहा कि वाराणसी में यूपी सरकार केंद्र सरकार के सहयोग से विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करेगी। इसके साथ ही एससीओ (SCO) ने भारत की पहल पर स्टार्ट-अप और इनोवेशन पर एक विशेष कार्य समूह स्थापित करने का भी फैसला किया है। इसके साथ ही शिखर सम्मेलन में बेलारूस और ईरान को एससीओ की स्थायी सदस्यता देने का भी फैसला किया गया।

क्या है एससीओ (SCO)

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ)

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) एक यूरेशियाई राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य संगठन है जिसका मुख्यालय बीजिंग में है। 1996 में चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान के नेताओं द्वारा शंघाई फाइव के रूप में शुरू होने के बाद, इसे 2001 में एससीओ के रूप में फिर से नामित किया गया था।

इसमें चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान शामिल हैं। 9 जून, 2017 को भारत और पाकिस्तान ने इसकी सदस्यता ली। एससीओ के पर्यवेक्षक देशों में अफगानिस्तान, बेलारूस और मंगोलिया शामिल हैं, वहीं संवाद साझेदारों में कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका, तुर्की, आर्मीनिया एवं आजरबैजान हैं।

एससीओ (SCO) का मुख्य लक्ष्य है कि जो देश इसके सदस्य है उनके बीच आपसी विश्वास और अच्छे-पड़ोसी संबंधों को मजबूत करना है। और राजनीति, व्यापार और अर्थव्यवस्था, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, संस्कृति के साथ-साथ शिक्षा, ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन, पर्यावरण संरक्षण और अन्य क्षेत्रों में प्रभावी सहयोग को बढ़ावा देना है।

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