भारत के 10 सबसे खूबसूरत गाँव
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Beautiful Villages in India - भारत के 10 सबसे खूबसूरत गाँवों जहां आपको एक बार घूमने जरूर जाना चाहिए

अपने देश में ऐसे ही कुछ सबसे खूबसूरत गाँवों है जहाँ की हरियाली, सुंदरता और साफ वातावरण किसी को भी सुकून-बख़्श देगा।

भारत एक ऐसा देश है जहाँ आज भी आधी आबादी गाँव में निवास करती है। गाँव की आबोहवा, शांत वातावरण में शहर की भागदौड़ भरी ज़िन्दगी से काफी सुखद एहसास मिलता। अपने देश में ऐसे ही कुछ सबसे खूबसूरत गाँवों है जहाँ की हरियाली, सुंदरता और साफ वातावरण किसी को भी सुकून-बख़्श देगा।

इस लेख में हम आपको भारत के उन सुंदर गाँवों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अलग अलग राज्यों में स्थित है और यहाँ की हसीन वादियां आपको मंत्रमुग्ध कर देंगी। अगर आप कुछ दिनों के लिए अपने व्यस्त जीवन से छुट्टी लेकर कहीं घूमने जाना चाहते है, और किसी अच्छी जगह की तलाश में हैं जहाँ का सौंदर्य आपकी आँखों और मन को भा जाए तो इन 10 गाँवों में कभी न कभी घूमने जरूर जाएं !

कल्पा गाँव, हिमाचल प्रदेश

कल्पा, हिमाचल प्रदेश
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कल्पा, हिमाचल प्रदेशहिमाचल प्रदेश तो वैसे ही काफी प्रसिद्ध है और लोग दूर दूर से शिमला और मनाली आमतौर पर घूमने जाते ही है। लेकिन यहाँ पर कल्पा (Kalpa) गाँव है जहाँ की खूबसूरती देखने लायक है। कल्पा (Kalpa) गाँव किन्नौर ज़िले में स्थित एक बस्ती है और यह सतलुज नदी की घाटी में स्थित है और हिन्दू व बौद्ध धार्मिक स्थल है। समुद्र तल से कल्पा की ऊंचाई करीब 2960 मीटर हैं। यह शहर अपने सेब के बागों, शांतिपूर्ण वातावरण और क्षेत्र में चारों ओर फैले प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है।

  • कैसे पहुंचे - कल्पा (Kalpa) गाँव जाने के लिए शिमला से एक टॉय ट्रेन चलती है जो कल्का होते हुए एक नैरो ट्रैक से गुजरती है और यह कल्पा पहुंचने का निकटतम रेलवे स्टेशन है, जिसकी दूरी सात से आठ घंटे की है। इसके साथ ही हिमचल प्रदेश की सरकारी बसें भी एक विकल्प है जो कल्पा (Kalpa) तक आपको पंहुचा देगी।

बीड़ गाँव, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश 

बीड़ गाँव, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश
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बीड़ गाँव (Bir billing) हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा जिले में जोगिंदर नगर घाटी के पश्चिम में स्थित है। और इस गाँव को “भारत का पैराग्लिडिंग कैपिटल” भी कहा जाता है। बीड़ (Bir billing) में एक बड़ा स्तूप भी बना है। यह स्थान पर्यटन, अध्यात्म और प्राकृतिक सौंदर्य की दृष्टि से बहुत ही खूबसूरत स्थान है, जो लोगों का ध्यान आकर्षित करता है। बीड़ गाँव में आपको प्राकृतिक खूबसूरती देखने को मिलेगी और यह जगह पैराग्लाइडिंग के लिए तो दुनिया भर से पर्यटक यहां पर आते हैं, क्योंकि यह स्थान पैराग्लाइडिंग के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मशहूर है।

  • कैसे पहुंचे - बीड़ गाँव (Bir billing) रेल, सड़क और हवाई मार्ग से पंहुचा जा सकता है। बीड़ गाँव (Bir billing) तक पहुंचने के लिए राज्य परिवहन की बस ले सकते हैं। और ट्रेन से भी जाने की सुविधा है, इसके लिए आपको पठानकोट रेलवे स्टेशन से अहजू तक ट्रॉय ट्रेन से 6 से 7 घंटे का सफर करना होगा जिसमें आप प्राकृतिक नजारों का आनंद उठाते हुए बीड़ गाँव पहुंच जाएंगे।

लामायुरू गाँव, लेह लद्दाख

लामायुरू गांव, लेह लद्दाख
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लामायुरू गाँव, लद्दाख के लेह ज़िले में स्थित एक गाँव है। यह गाँव लद्दाख के सबसे पुराना मठ होने के साथ-साथ अपने सुंदर वास्तुकार के लिए पूरे लद्दाख में मशहूर है। और यहीं पर प्रसिद्ध लामायुरु गोम्पा (मठ) स्थित है और इस जगह को मून लैंड (moon land) यानि चन्द्रमा की धरती के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा इसलिए क्यूंकि इस मठ के इर्द गिर्द पथरीले क्षेत्र चांद की तरह दिखाई देता है, जिसकी वजह से इसे मून लैंड के नाम से जाना जाता है। लामायुरु गाँव (Lamayuru) लद्दाख के सबसे पुराने और बड़े गोम्पों (मठ) में से एक है जिसकी आबादी लगभग 150 स्थायी भिक्षुओं की है। अतीत में, इसमें 400 भिक्षु रहते थे, जिनमें से कई अब आसपास के गांवों में गोम्पों में स्थित हैं।

  • कैसे पहुंचे - लेह से लामायुरू मठ की दूरी लगभग 115 किमी. है, जहां पर आप लेह से करीब ढाई घंटे (2:30 hours) में पहुंच सकते है। साथ ही लामायुरू मठ से कारगिल की दूरी करीब 103 किमी. है और इस दूरी को आप बाइक या कार से 2-3 घंटे में पूरा कर सकते हैं। इसके साथ ही इसके नजदीकी शहर लेह (115 किमी.) और कारगिल (103 किमी.) है। इस हिसाब से लामायुरू मठ लद्दाख के दोनों जिलों (लेह और कारगिल) के मध्य में स्थित है।

माणा गाँव, उत्तराखंड

माना, उत्तराखंड
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माणा (Mana Village), हिमालय में भारत और तिब्बत/चीन की सीमा से लगा एक अंतिम भारतीय गाँव है जो चमोली जिले में स्थित है। इसे उत्तराखंड सरकार द्वारा "पर्यटन गांव" के रूप में नामित किया गया है। बद्रीनाथ के पास माना गांव सबसे अच्छा पर्यटक आकर्षण है, यह बद्रीनाथ शहर से सिर्फ 3 किमी दूर है। यह गाँव सरस्वती नदी के तट पर है और यह लगभग 3219 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह गांव हिमालय की पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यहाँ आकर आपको ऐसा प्रतीत होगा जैसे की आप स्वर्ग में आ गए हैं। ऊँचे ऊँचे पहाड़ और साफ वातावरण आपका मन मोह लेगा।

  • कैसे पहुंचे - माना (Mana Village) हरिद्वार और ऋषिकेश से NH-58 के साथ बद्रीनाथ और जोशीमठ से जुड़ा हुआ है। देहरादून से माना की दूरी 319 किलोमीटर की है। और माना जाने के लिए नज़दीकी रेल नेटवर्क हरिद्वार से है जो माना से 275 किलोमीटर दूर है। माना जाने के लिए आप बस और टैक्सी भी ले सकते हैं।

खिमसर गाँव, राजस्थान

खिमसर गाँव, राजस्थान
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खिमसर गाँव, राजस्थान के थार मरुस्थल (Thar Desert) के किनारे बसा हुआ है और इस गाँव के बीचों बीच के पानी जो झील है जो इस मरुस्थल ( Desert) को एक शाद्वल (oasis) में बदलती है। इस गाँव के चारों ओर दूर-दूर तक सिर्फ रेत ही रेत है जो इसे काफी खूबसूरत और शांत बनाती है और काफी आकर्षित करते हैं। खिमसर को सैंड ड्यून्स विलेज (Khimsar Sand Dunes Village) भी कहा जाता है। यहाँ पर हर साल जनवरी से फरवरी के महीने में नागौर महोत्सव का आयोजना किया जाता है। और इस महोत्सव को देखने के लिए दूर दूर से देशी विदेशी पर्यटक आते है। यह महोत्सव एक विशिष्ट पशु मेला है जिसमें ऊंट दौड़, बैल दौड़, लोक संगीत और क्षेत्र का स्थानीय नृत्य मुख्य आकर्षण है। इसके साथ ही आप यहाँ पर 10वीं शताब्दी में निर्मित नागौर का किला भी देख सकते है जो जोधपुर के मेहरानगढ़ किले से भी बड़ा है।

  • कैसे पहुंचे - खिमसर, जाने के लिए आपको सबसे पहले जोधपुर जाना होगा और यहीं से आप टैक्सी के द्वारा खिमसर पहुंच सकते हैं। यह जोधपुर - नागौर - बीकानेर राष्ट्रीय राजमार्ग पर पड़ता है और आप बस के माध्यम से भी बढ़ी ही आसानी से खिमसर पहुंच सकते हैं।

मौलिन्नोंग गाँव, मेघालय 

मौलिन्नोंग गाँव, मेघालय
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भारत के उत्तर-पूर्व (North East) मेघालय का मावलिन्नांग गाँव है, जिसके नाम ''एशिया का सबसे स्वच्छ गाँव'' का खिताब है। यह गाँव स्वच्छता के मानचित्र पर अपनी एक अलग पहचान रखता है। इस गाँव में प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया जाता है और यहाँ पर सिर्फ बांस की बनी हुई डस्टबीन का प्रयोग किया जाता है। यहाँ पर सामान लाने ले जाने के लिए कपड़ों से बने थैलों का प्रयोग किया जाता है। इस गाँव की साक्षरता दर 100 प्रतिशत है और यहाँ महिलाओं को हर काम में आगे रखा जाता है। यह गाँव झरना, ट्रेक, लिविंग रूट ब्रिज, डॉकी नदी के लिए मशहूर है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है। इस गांव में कई रंग- बिरंगें फूलों के गार्डन भी हैं जो यहां की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं।

  • कैसे पहुंचे - यह गाँव राजधानी शिलांग और भारत-बांग्लादेश बॉर्डर से 90 किलोमीटर दूर स्थित है। आप शिलांग एयरपोर्ट से सड़क मार्ग के जरिये मौलिन्नोंग गाँव आसानी से पहुंच सकते हैं।

कुट्टनाद गाँव, अलाप्पुझा केरल

कुट्टनाद गाँव, अलाप्पुझा केरल
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केरल देश का सबसे खूबसूरत राज्य है जो पूरी तरह से हरियाली और बैकवाटर्स के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्द है। और इस राज्य के आलप्पुष़ा जिले के बैकवाटर्स के बीच स्थित है कुट्टनाद गाँव। कुट्टनाद ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है और राज्य में प्रमुख चावल उत्पादक है। धान की अधिक फसल होने कारण इस जगह का नाम 'चावल का कटोरा' भी है। इस इलाके को बड़ी नदियों का जल प्रवाह हासिल है: पम्पा, मीनच्चिल, अच्चंकोविल और मणिमला। और ऐसा माना जाता है कि यह दुनिया की इकलौती जगह है जहां समुद्र तल से 2 मीटर की गहराई पर खेती की जाती है।

इस जगह की हरियाली और यहाँ का शांत वातावरण आपको सम्मोहित कर देगा। यहाँ पर आपको कुटीरों में खाने के स्वादिष्ट व्यंजन मिलेंगे और पीने को ताड़ी (नीरा या टोडी) भी मिलेगा। यह का सबसे प्रसिद्ध पेय है। इसके साथ ही आप यहाँ नाँव और हाउसबोट से घूम भी सकते है।

  • कैसे पहुंचे - कुट्टनाद गाँव पहुंचने के लिए आपको आलप्पुषा जिले में आना होगा और यहाँ से करीब 85 किलोमीटर की यात्रा कर आप आसानी से पहुंच सकते हैं।

कोल्लेंगोडे गाँव, पलक्कड़ केरल

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केरल के पलक्कड़ जिले में कोल्लेंगोडे (Kollengode) एक छोटा सा गांव है जो धान के खेतों, आम के खेतों और ताड़ के पेड़ों के हरे-भरे बड़े हिस्से के लिए जाना जाता है। यह केरल के बहुत कम स्थानों में से एक है जहाँ धान के खेतों का इतना बड़ा विस्तार है।

केरल वास्तुकला की पारंपरिक शैली में बना कोल्लेंगोड पैलेस (Kollengode Palace) यहां का प्रमुख आकर्षण है। यह स्थान भगवान विष्णु (हिंदू देवता) को समर्पित कचमकुरिसी मंदिर (Kachamkurissi temple) और प्रसिद्ध कवि पी. कुन्हीरामन नायर (P. Kunhiraman Nair.) के स्मारक के लिए भी प्रसिद्ध है।

अगर आपको रोमांच करना पसंद है तो यहाँ कोल्लेंगोड के पास सीतारकुंडु (Seetharkundu), गोविंदमलाई (Govindamalai) और नेल्लियंपैथी पहाड़ियां (Nelliyampathy hills) ट्रेकिंग के लिए अच्छी जगह है। यह गाँव पूरी तरह हरियाली और पहाड़ों से घिरा हुआ है

  • कैसे पहुंचे - कोल्लेंगोड (Kollengode) प्रमुख बस मार्गों से भी जुड़ा हुआ है। स्टेट हाईवे SH-58 कोलेनगोड से होकर गुजर रहा है। कोल्लेंगोडे-पलक्कड़ मार्ग (Kollengode-Palakkad route) राज्य की प्रमुख सड़कों में से एक है। पलक्कड़, त्रिशूर, एर्नाकुलम, कालीकट, कोयंबटूर, पोलाची आदि के लिए बसें उपलब्ध हैं।

  • निकटतम हवाई अड्डा कोयम्बटूर है जो कोल्लेंगोड (Kollengode) से लगभग 70 किलोमीटर दूर है। कोचीन अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा कोल्लेंगोड (Kollengode) से लगभग 110 किमी दूर है और कालीकट हवाईअड्डे की दूरी लगभग 125 किमी है।

कार्तिक स्वामी गाँव, रुद्रप्रयाग  उत्तराखंड

कार्तिक स्वामी गाँव, रुद्रप्रयाग  उत्तराखंड
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उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में रुद्रप्रयाग-पोखरी मार्ग पर कनक चौरी गांव के पास 3050 मीटर की ऊंचाई पर एक पहाड़ी की चोटी पर कार्तिक स्वामी मंदिर स्थित है। रुद्रप्रयाग – पोखरी मार्ग पर स्थित इस मंदिर तक कनक चौरी गांव से 3 किमी की ट्रेकिंग के द्वारा पहुंचा जा सकता है। कार्तिक स्वामी तक पहुंचने के लिए आपको कनकचौरी गाँव से 3 किलोमीटर की ट्रेकिंग करनी होगी। ट्रैकिंग बेहद ही घने जंगलों और नुकीले पहाड़ों से होते हुए जाती है और यहाँ से राजसी सूर्यास्त और सूर्योदय के दृश्य देखने को मिलते है। यह ट्रेक चोटियों से होते हुए जाता है जो ट्रैकिंग को और भी रोमांचकारी बना देता है। यहाँ के लोगों की जीवनशैली और रीति-रिवाज आधुनिक लोगों से बहुत अलग हैं जिनके बारे में जानना दिलचस्प है।

  • कैसे पहुंचे - कार्तिक स्वामी जाने के लिए आप रुद्रप्रयाग से कनकचौरी तक टैक्सी ले सकते हैं, जो सबसे सस्ता और अच्छा विकल्प है। टैक्सी रुद्रप्रयाग से कनकचौरी तक लगभग 50 रुपये लेती है। हालांकि रुद्रप्रयाग से कनकचौरी होते हुए पोखरी के लिए कुछ बस सेवाएं हैं। इसके साथ ही सड़क मार्ग से भी ऋषिकेश से कनकचौरी गाँव आया जा सकता है जो 175 किमी दूर है। इसके बाद कनकचौरी गाँव से कार्तिक स्वामी जाने के लिए 3 किलोमीटर का ट्रेक करना होगा।

दर्चिक गाँव, लद्दाख

दर्चिक गाँव, लद्दाख
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दार्चिक (Darchik) आर्यन घाटी (Aryan valley) क्षेत्र का एक गाँव है, जो लद्दाख (Ladakh) के कारगिल जिले की कारगिल तहसील में स्थित है। दार्चिक गाँव में गुंड (बर्जय), होर्डास और सनाचाय नाम के गाँव शामिल हैं। यह बौद्ध ब्रोकपा (Buddhist Brokpa) लोगों द्वारा आबाद है। दारचिक कारगिल तहसील के 66 आधिकारिक गांवों में से एक है।

आर्यन घाटी ((Aryan valley) सिंधु नदी के दोनों किनारों पर धा (Dha), हनु (Hanu), गारकोने (Garkone) और दारचिक (Darchik ) के गांवों को आवासित करती है, जो सुंदर पर्वत ताजी हवा और सुंदर परिदृश्य के साथ एक सुखद अनुभव प्रदान करती है। यह अद्वितीय बौद्ध दर्ड (Buddhist Dard) जनजातियों का भी घर है, जिनके सदस्य पूरे क्षेत्र में ब्रोकपास (Brokpas) के रूप में जाने जाते हैं।

  • कैसे पहुंचे - दार्चिक (Darchik) पहुंचने के लिए लेह शहर के पश्चिम में लेह-श्रीनगर हाईवे की ओर ड्राइव करके आर्यन घाटी के गांवों तक पहुंच सकता है।

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