पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी
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उत्तर प्रदेश में अब पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी के लिए अदा करना होगा 4 से 7 फीसदी तक स्टाम्प शुल्क

नियमानुसार अगर पांच से कम लोगों के नाम मुख्तारनामा होता था तो वहां मात्र 50 रुपये का स्टांप शुल्क देना होता था।, लेकिन अब यह नहीं होगा।

उत्तर प्रदेश में अब घर, जमीन, जैसी अचल संपत्तियों के लिए किसी के भी नाम मुख्तारनामा यानी पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी करने के नियमों में बदलाव किया गया है। प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक में फैसला लिया गया है कि, अब अगर किसी को मुख्तारनामा करना है तो उसे रजिस्ट्री की तरह ही 4 से 7 फीसदी तक स्टाम्प शुल्क देना होगा। हालांकि परिवार के सदस्यों को इससे छूट दी गई है और उन्हें निर्धारित 50 रुपये की जगह 5000 रुपये देने होंगे। सरकार ने यह फैसला टैक्स चोरी रोकने के लिए उठाया है।

क्यों किया जाता है मुख्तारनामा (पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी)

पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी
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मुख्तारनामा यानी पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी तब किया जाता है जब परिवार से अलग किसी बाहरी व्यक्ति को अचल संपत्ति बेचने का अधिकार दिया जाता है। हालांकि, इसका पंजीकरण करवाना अनिवार्य नहीं है, लेकिन रजिस्ट्री की प्रमाणिकता के लिए लोग इसका पंजीकरण कराते हैं और इसी में धोखाधड़ी हो रही थी। रजिस्ट्री संपत्ति का हस्तांतरण है जबकि पावर ऑफ़ अटॉर्नी संपत्ति के हस्तांतरण का अधिकार देता है। और इसी का फायदा उठाकर भू संपत्ति की अवैध खरीद फरोख्त में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।

नियमानुसार अगर पांच से कम लोगों के नाम मुख्तारनामा होता था तो वहां मात्र 50 रुपये का स्टांप शुल्क देना होता था।, लेकिन अब यह नहीं होगा। अब ऐसे मुख्तारनामा में बैनामों की तरह ही संपत्ति के बाजार मूल्य के हिसाब से स्टांप शुल्क लगेगा।

आपको बताते चलें कि, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और बिहार में भी यह व्यवस्था लागू है। जबकि दिल्ली में मुख्तारनामा करवाने पर 3 प्रतिशत स्टांप शुल्क लगता है।

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