नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान
नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान

लखनऊ के कुकरैल में शिफ्ट होगा प्राणी उद्यान और वन क्षेत्र में बनेगी नाइट सफारी

सरकार का मानना है कि कुकरैल नाइट सफारी की स्थापना और कुकरैल में प्राणी उद्यान के शिफ्ट होने से इको टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा।

उत्तर प्रदेश सरकार ने बीते मंगलवार को कैबिनेट बैठक में कुकरैल वन क्षेत्र में नाइट सफारी पार्क की स्थापना और नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान को कुकरैल स्थानांतरित करने के प्रस्ताव को सरकार ने मंजूरी दे दी है। इन प्रस्तावों के तहत अब लखनऊ के वन क्षेत्र के पूर्वी व पश्चिमी ब्लॉक को मिलाकर 2027.4 हेक्टेयर क्षेत्र में से घने जंगलों के साथ छेड़छाड़ किए बिना करीब 150 एकड़ क्षेत्र में प्राणी उद्यान और 350 एकड़ क्षेत्र में भारत की पहली नाइट सफारी की स्थापना की जाएगी और नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान को भी यहीं पर शिफ्ट किया जाएगा।

इस पूरी परियोजना के तहत 75-75 एकड़ में टाइगर और तेंदुआ सफारी और 60 एकड़ में भालू सफारी बनाने की योजना है। इसके साथ ही लखनऊ चिड़ियाघर को भी शिफ्ट करते हुए प्रस्तावित नाइट सफारी क्षेत्र में जोड़ा जाएगा। नाइट सफारी बनाने में मौजूदा वनस्पति और जीवों को यथासंभव प्रभावित न करते हुए ज्यादा से ज्यादा खुला क्षेत्र जो वर्तमान में उपयोग में नहीं है उसका उपयोग किया जाएगा।

कुकरैल नदी को किया जाएगा चैनलाइज

कुकरैल जंगल
कुकरैल जंगल

राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि प्राणी उद्यान और नाइट सफारी की स्थापना के लिए मुख्य सचिव के स्तर पर बैठक कराकर इसकी प्रक्रिया का निर्धारण जल्द करवाया जाएगा। कुकरैल नदी को चैनलाइज कर यथासंभव आकर्षक रिवर फ्रंट के रूप में विकसित करने की संभावनाओं पर विचार किया जाएगा। प्राणी उद्यान और कुकरैल नाइट सफारी में आंगतुकों के लिए विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। कुकरैल का पूरा वन इलाका जहां जहां बाहरी क्षेत्र से मार्ग से जुड़ा है वहां चार लेन का मार्गों का निर्माण किया जाएगा। और इस पूरी परियोजना की लागत का आकलन कंसलटेंट की रिपोर्ट के बाद होगा।

त्रिसूर प्राणी उद्यान के तर्ज पर शिफ्ट होगा लखनऊ प्राणी उद्यान

राज्य सरकार के अधिकारीयों के मुताबिक देश में इससे पहले केरल में त्रिसूर प्राणी उद्यान को शिफ्ट किया जा चुका है और अब इसी के तर्ज पर लखनऊ के प्राणी उद्यान को शिफ्ट किया जाएगा। प्राणी उद्यान को शिफ्ट करने के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति जरूरी होती है।

आपको बता दें कि यूपी के तत्कालीन गवर्नर सर हरकोर्ट बटलर ने तत्कालीन प्रिंस ऑफ़ वेल्स के लखनऊ आगमन को यादगार बनाने के अवध के दूसरे नवाब नासिरुद्दीन हैदर ने बानारसी बाग को परिवर्तित कर 29 नवंबर 1921 को प्रिंस ऑफ़ वेल्स जूलॉजिकल गार्डन रखा था। और बाद में इसका नाम अवध के नवाब वाजिद अली शाह के नाम पर रखा गया था।

इसका कुल क्षेत्रफल 71.66 एकड़ है और इसमें से 61.31 एकड़ जमीन प्रिंस ऑफ़ वेल्स ट्रस्ट की है। वहीं 10.35 एकड़ जमीन लामार्टिनियर ट्रस्ट से लीज पर ली गई है, और यहां कुल 126 बाड़े वन्यजीवों के लिए हैं। वहीं 10 रात्रिचर बाड़े हैं। इसके साथ ही एक मछलीघर, 3-डी हॉल व अन्य सुविधाएं भी यहां मौजूद है।

आपको बताते चलें कि वर्ष 2001 में मायावती सरकार ने भी लखनऊ प्राणी उद्यान को हटाने का निर्णय लिया था और इसे हरदोई रोड पर मूसाबाग में ले जाने पर सहमति बनी थी। तब सरकार के निर्णय का हर तरफ से विरोध हो गया था और इस कारण से प्राणी उद्यान को शिफ्ट नहीं किया गया था।

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