लखनऊ शीरमाल 
Lucknow-Hindi

अवध का मशहूर शीरमाल- लखनऊ की नवाबी रसोई में इजात की गयी इस शाही रोटी का इतिहास और विरासत

शीरमाल, रोटी का ही एक रूप है जो स्वाद में हल्का सा मीठा होता है, और इसलिए इसे निहारी या सालन के साथ खाया जाता है।

Aastha Singh

तहज़ीब लखनऊ की पहचान है, तो यहां की जुबान में घुले अवधी व्यंजनों का स्वाद यहाँ की जान है। अगर यहां की मेहमानवाजी दिलों के बीच का फासला चुटकियों में मिटा देती है, तो यहाँ की सर ज़मीन पर इजात किये गए मुगलई खाने की महक दूर तलक जाती है। लोग दूर-दूर से लखनवी कबाब और बिरयानी का स्वाद चखने आते हैं। इन मुँह में घुल जाने वाले कबाब और कोरमा जैसे व्यंजनों का लुत्फ उठाने के लिए भी तो नरम-गरम रोटियों की जरूरत पड़ती है।

लखनऊ में रोटियों का भी एक अलग ही इतिहास रहा है। कई रोटियां तो नवाबों के खानसामों ने इजाद की हैं। दरअसल, यहां के नवाबों के लिए रोज़ अलग-अलग तरह के कई व्यंजन तैयार किए जाते थे और जिनका साथ देने के लिए कई तरह की रोटियां भी बनाई जाती थीं। लखनऊ में इजात की गयीं रोटियां या जो यहाँ लोकप्रिय हो गयीं उन सभी के बीच, शीरमाल अभी भी किसी भी मुगलई दस्तरख़्वान का एक प्रमुख विकल्प है।

शीरमाल

यह एक शाही रोटी है जो पुराने लखनऊ के लगभग हर बाजार में पाई जाती है जहाँ मसालेदार कुरमा और कबाब के साथ लोग इसे खाते हुए नज़र आएंगे। लेकिन अगर आप शहर में सबसे अच्छे शीरमाल की तलाश कर रहे हैं या शायद सबसे पुरानी दुकान की, जहाँ से शीरमाल का रंग दूर दूर तक फैला है, तो आपको 190 साल पुरानी हुसैन शीरमाल की दुकान के बारे में जानना होगा।

पर शीरमाल है क्या?

शीरमाल

शीरमाल’ रोटी का ही एक रूप है, जो स्वाद में हल्का सा मीठा होता है और इसलिए इसे निहारी या सालन के साथ खाया जाता है।

आज कई तरह के शीरमाल आपको खाने के लिए मिल जाएंगे। इसे लोहे के तंदूर में पकाया जाता है। इसे बनाने में मैदा के साथ-साथ दूध, घी और केसर आदि का उपयोग होता है। हर एक सामग्री शीरमाल को एक नया अंदाज देती है। जैसे केसर से इसे रंग दिया जाता है, तो दूध से इसकी मिठास बढ़ती है। केवड़ा और इत्र से इसे एक अलग खुशबू मिलती है और घी के कारण इसे टेक्सचर मिलता है।

लखनऊ शीरमाल

शीरमाल का मुलायम होना, इस बात पर निर्भर करता है कि आप इसके लिए मैदे को गूंथ कैसे रहे हैं और इसके ऊपर से घी डाला जाता है। उनकी दुकान में आज भी तोलकर मैदे की लोई बनाई जाती है। इसके बाद, इसे बेला जाता है और एक टूल, जिसे चोका कहा जाता है, उससे इसमें छोटे-छोटे छेद किए जाते हैं, ताकि तंदूर में सेकने पर ये फूले नहीं। क्योंकि अगर रोटियां फूलने लगेंगी तो तंदूर में नीचे गिर जाएंगी।

अवध का मशहूर 'शीरमाल'

शीरमाल वाली गली में ‘अली हुसैन शीरमाल’

लखनऊ के शीरमाल वाली गली में ‘अली हुसैन शीरमाल’ नाम की इस दुकान की शुरुआत 1830 में हुई थी। वर्तमान में इस दुकान को परिवार की छठी पीढ़ी में मोहम्मद उमर और उनके भतीजे, मोहम्मद जुनैद चला रहे हैं। मजदूर भी पीढ़ियों से इस जगह से जुड़े हुए हैं। आज जो तंदूर इस्तेमाल हो रहा है, उस पर उनके पुरखों ने कई प्रयोग किए। मौजूदा वक्त में शीरमाल पूरे अवध में सबसे मशहूर रोटियों में गिनी जाती है।

शीरमाल वाली गली में ‘अली हुसैन शीरमाल’

जानकारों का कहना है कि यहां लखनऊ में नसीरुद्दीन हैदर के शासनकाल के दौरान, महमूद नाम के एक व्यक्ति ने फिरंगी महल में एक छोटा सा रेस्तरां खोला था जहां की निहारी मशहूर थी। उन्होंने ज़ाहिर तौर पर निहारी के कटोरे के साथ खाये जाने के लिए रोटी का एक नया रूप बनाया और बाद में इसे शीरमाल के रूप में जाना जाने लगा। महमूद के मुख्य रसोइया अली हुसैन थे, जिन्होंने बाद में अपना स्टाल स्थापित किया और तब से अली हुसैन शीरमाल इस शहर का एक अभिन्न अंग हो गया।

जिस गली में यह दुकान स्थित है, उसे 'शीरमल वाली गली' के नाम से जाना जाता है और शीरमाल के अलावा विभिन्न स्वादों में बकरखानी, गौ ज़बान और नान की दुकान की विशेषता है। हालाँकि गौ ज़बान का शाब्दिक अर्थ है 'गाय की जीभ', यह वास्तव में गाय की जीभ के आकार का एक स्वादिष्ट चपटा होता है, इसलिए जंगली और अजीब चलने से पहले अपनी कल्पना को वहीं रोक दें।

शीरमाल

सामान्य शीरमाल के अलावा, अब वे और भी कई तरह के शीरमाल बना रहे हैं। जैसे ज़ाफ़रानी और जैनबिया शीरमाल। मुहर्रम के मौके पर गरीबों में बांटने के लिए भी उनकी दुकान से बड़ी मात्रा में शीरमाल बनवाया जाता है। इसलिए जब भी आप चौक की पुरानी गलियों में और उसके आसपास से गुज़रें, तो आपको इस दूकान को देखने के लिए शीरमाल वाली गली जाना होगा। घर के लिए कुछ पैक करें या बस मौके पर ही कुछ का आनंद लें और आपको पता चल जाएगा कि शीरमाल वाली गली अभी भी हमारी सूची में सबसे ऊपर क्यों है!

स्थान - चावलवाली गली, नक्खास पुलिस चौकी के पास, पुराना नक्खा, लखनऊ

समय - सुबह 8 बजे से रात 11 बजे तक

To get all the latest content, download our mobile application. Available for both iOS & Android devices. 

7 essential Kanpur spots for jackets, wallets, purses & all things leather

The Saree you’ve wished for is now yours to claim! Get up to 40% OFF at Taneira’s Lucknow outlets

Pet Parents in India! Checkout THIS ultimate flight guide for a stress-free journey with pets

Pack your bags, folks! 7 escapes near Lucknow & Kanpur you’ll want to claim before the holiday rush

From paper-thin to ghee-loaded: 7 Dosa places in Lucknow worth the hype

SCROLL FOR NEXT