चुनार फोर्ट (Chunar Fort)
चुनार फोर्ट (Chunar Fort)  
Uttar-Pradesh-Hindi

UP के मिर्ज़ापुर स्थित चुनार फोर्ट पर शासन करने वाले हर राजा ने भारत के भाग्य पर भी शासन किया

Aastha Singh

इतिहास के पन्नों में भारत देश के पराक्रमी किले सदा ही नियंत्रण का गढ़, शक्ति के प्रतीक एवं राज्यों और क्षेत्रों के रक्षक रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर जिले का चुनार फोर्ट (Chunar Fort) वाराणसी के दक्षिण पश्चिम में पवित्र नदी गंगा के ऊपर 150 फ़ीट की ऊंचाई पर विराजमान है। मौर्य सम्राट अशोका से लेकर गुप्त साम्राज्य के निर्माताओं एवं राजाओं, साहित्यकार, उपन्यासकार, महान निर्माताओं तक सभी चुनार फोर्ट (Chunar Fort) के पराक्रम एवं इतिहास के सम्बन्ध में इसकी विशेषता का लोहा मानते हैं।

चुनार फोर्ट (Chunar Fort)

हिंदी साहित्य के प्रेमी चुनार के किले को तिलिस्मी किले के रूप में जानते हैं, क्यूंकि महान साहित्यकार देवकी नंदन खत्री (Devaki Nandan Khatri) इस किले की महिमा से इतने अधिक प्रभावित हुए की उन्होंने हिंदी साहित्य के पहले उपन्यास चंद्रकांता (Chandrakanta) का केंद्र बिंदु चुनार के किले को रखा। चंद्रकांता का आधार तिलिस्म है और चन्द्रकान्ता उपन्यास में चुनारगढ़ किले (Chunargarh fort) के तिलिस्म के बारे में सबसे अधिक वर्णन किया गया है। चंद्रकांता उपन्यास से प्रभावित होकर नीरजा गुलेरी (Nirja Guleri) ने कहानी पर आधारीत एक धारावाहिक बनाया था, जो दूरदर्शन पर अत्यधिक लोकप्रिय हुआ।

इसके अलावा आपने चुनार के किले को गैंग्स ऑफ़ वासेपुर (Gangs of Wasseypur) फ़िल्म में भी देखा होगा जिसकी शूटिंग यहाँ हुई थी। लेकिन चुनार के किले का इतिहास कहीं अधिक गहरा और संजीदा है। एक बीते युग की शानदार स्थापत्य भव्यता को प्रस्तुत करता हुआ चुनार किला 56 ईसा पूर्व का है।

किले की वास्तुकला और डिज़ाइन

चुनार फोर्ट (Chunar Fort)

किले का निर्माण बलुआ पत्थर से किया गया था जिसका उपयोग मौर्य काल के दौरान भी किया जाता था। किला 1850 गज के क्षेत्र में फैला है। किले में कई द्वार हैं जिनमें से पश्चिमी द्वार अकबर के शासनकाल के दौरान बनाया गया था। किले के अंदर की कुछ संरचनाएं भरथरी समाधि, सोनवा मंडप, बावन खंबो की छतरी और वॉरेन हेस्टिंग्स का निवास हैं। किले के दक्षिण-पश्चिम दिशा में संत शाह कासिम सुलेमानी (Qasem Soleimani) की दरगाह या मकबरा स्थित है। संत का मूल अफगानिस्तान था और वह अकबर और जहांगीर के शासनकाल के दौरान यहां रहते थे। 27 साल की उम्र में वह मक्का और मदीना की तीर्थ यात्रा के लिए गए और लौटने के बाद बहुत सारे लोग उनके शिष्य बन गए।

चुनार फोर्ट (Chunar Fort)

पराक्रमी चुनार के किले की उत्पत्ति और इतिहास

चुनार फोर्ट (Chunar Fort)

समुद्र तल से 28 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह उत्तर प्रदेश के विंध्य रेंज (Vindhya Range) में आता है। किले का निर्माण सबसे पहले राजा सहदेव ने 1029 ई. में करवाया था। 1532 में शेर खान, 1538 में शेर शाह सूरी और 1575 ईस्वी में अकबर ने किले का पुनर्निर्माण किया। वास्तव में, आज चुनार किले में जितना भी दिखाई देता है, वह अकबर के संरक्षण में बनाया गया था। 1529 में घेराबंदी में बाबर के कई सैनिक मारे गए। शेर शाह सूरी ने 1532 में चुनार के गवर्नर ताज खान सारंग खानी की विधवा से शादी करके किले पर कब्ज़ा किया। किले के निर्माण के बाद से ही यह किला कई महान शासकों के अधीन रहा है।

मुग़ल वंश के शासन के बाद 1772 में, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने मेजर मुनरो के तहत चुनार किले पर कब्जा कर लिया। 1791 में चुनार का किला अवैध यूरोपीय बटालियन का केंद्र बन गया। बाद में, भारत की आजादी तक, अंग्रेजों ने किले को हथियारों को सुरक्षित रखने के लिए अपने गोदाम के रूप में इस्तेमाल किया।

चुनार फोर्ट (Chunar Fort)

चुनार फोर्ट (Chunar Fort) 2500 सालों से इतिहास का अमिट रूप से मूकदर्शक बना हुआ है। समय समय पर इस किले पर शासन करने वाले राजाओं ने इसके रूप स्वरुप को अपने अनुसार बदला है। यही कारण है की चुनार का किला विभिन्न राज्यों और शासकों के शक्तिशाली समन्वय और युद्ध से होकर गुज़रा है। कहा जाता है कि किले की दीवारें अभेद्य हैं। किले में कई ऐसे रहस्य हैं जिनसे लोग सदियों से अनजान हैं। जैसे ही आप किले के अंदर जाते हैं, आपको एक अलग ही तिलिस्मी शक्ति महसूस होती है।

यह स्थान विंध्य पहाड़ियों से घिरा हुआ है। बरसात के मौसम में यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं लगती है क्योंकि हर तरफ हरियाली होती है। गंगा नदी इसे एक दिव्य स्पर्श प्रदान करती है और इस शहर के करीब स्थित बहुत सारे खूबसूरत झरने दूर के आगंतुकों के लिए देखने योग्य दृश्य प्रस्तुत करता है।

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